Changes

दहर में नक़्शे-वफ़ा / ग़ालिब

506 bytes added, 01:03, 27 फ़रवरी 2010
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>दहर<ref>संसार</ref> में नक़्श-ए-वफ़ा वजह-ए-तसल्ली न हुआ
है यह वो लफ़्ज़ कि शर्मिन्दा-ए-माअ़नी<ref>सार्थक</ref> न हुआ
दहर में नक़्शसब्ज़ए-ए-वफ़ा वजहख़त से तेरा काकुल-ए-तसल्ली न हुआ सरकश<brref>(स्त्री की)ज़ुल्फें</ref> न दबा है यह वह लफ़्ज़ कि शर्मिन्दहज़मुर्रद<ref>नीलम (पत्थर)</ref> भी हरीफ़े<ref>विरोधी</ref>-दमे-मनी न हुआ अफ़ई<brref>साँप<br/ref>न हुआ
सब्ज़हमैंने चाहा था कि अन्दोह-ए-ख़त वफ़ा से तिरा काकुल-ए-सरकश न दबा <br>छूटूं यह ज़ुमुर्रुद वह सितमगर मेरे मरने पे भी हरीफ़-ए-दम-ए-अफ़`ई राज़ी न हुआ <br><br>
मैं ने चाहा था कि अन्दोहदिल गुज़रगाह ख़याले-मै-वफ़ा से छूटूं ओ-साग़र ही सही गरनफ़स<brref>वह सितमगर मिरे मरने पह भी राज़ी न हुआ सांस<br/ref>जादा<brref>मार्ग</ref>-ए-सर-मंज़िल-ए-तक़वी<ref>परलोक की मंजिल</ref> न हुआ
दिल गुज़र-गाह-ए-ख़याल-ए-मय-ओ-साग़र ही सही हूँ तेरे वादा न करने में भी राज़ी कि कभीगोश<brref>गर नफ़स जादह</ref> मिन्नत-कश-ए-सर-मंज़िलगुलबांग-ए-तक़्वी न हुआतसल्ली<brref>सांत्वना की मधुर ध्वनि<br/ref> न हुआ
हूँ तिरे व`दह न करने में भी राज़ी कि कभीकिससे महरूमिए-क़िस्मत<brref>दुर्भाग्य</ref> की शिकायत कीजे गोश मिन्नत-कश-ए-गुलबांग-ए-तसल्ली हम ने चाहा था कि मर जाएं, सो वह भी न हुआ <br><br>
किस से महरूमीमर गया सदमा-ए-क़िस्मत की शिकायत कीजे यक जुम्बिशे-लब<brref>होंठ हिलना</ref> से ग़ालिब हम ने चाहा था कि मर जाएं सो वह भी न हुआ नातवानी<brref>दुर्बलता</ref> से हरीफ़<ref>विरोधी</ref>-ए-दम-ए-ईसा<ref>ईसा के मंत्र</ref> न हुआ<br/poem>
मर गया सदमह-ए-यक-जुन्बिश-ए-लब से ग़ालिब <br>नातुवानी से हरीफ़-ए-दम-ए-`ईसा न हुआ{{KKMeaning}}
Delete, Mover, Uploader
894
edits