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"होंठों से छू लो तुम / इंदीवर" के अवतरणों में अंतर

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मिल के बिछड़ गईं अँखियाँ<br />
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हाय रामा मिल के बिछड़ गईं अँखियाँ<br />
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|रचनाकार=इंदीवर
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होंठों से छू लो तुम, मेरा गीत अमर कर दो
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बन जाओ मीत मेरे, मेरी प्रीत अमर कर दो
  
मुशक़िल से वो दिन भुलाये थे हमने<br />
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न उमर की सीमा हो, न जनम का हो बंधन
फिर आ के छेड़ा बलम ने<br />
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जब प्यार करे कोई, तो देखे केवल मन
फिर से धरक गईं छत्तियाँ<br />
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नई रीत चलाकर तुम, ये रीत अमर कर दो
धरक गईं छत्तियाँ<br />
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होंठों से छूलो तुम ...
हाय रामा मिल के बिछड़ गईं अँखियाँ<br />
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रोते हैं नैना जिया तलमलाये<br />
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जग ने छीना मुझसे, मुझे जो भी लगा प्यारा
जावो कोई उनको लाये<br />
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सब जीता किये मुझसे, मैं हर दम ही हारा
कैसे बिताऊँ दिन-रतियाँ<br />
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तुम हार के दिल अपना, मेरी जीत अमर कर दो
बिताऊँ दिन-रतियाँ<br />
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होंठों से छूलो तुम ...
हाय रामा मिल के बिछड़ गईं अँखियाँ..
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आकाश का सूनापन, मेरे तनहा मन में
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पायल छनकाती तुम, आ जाओ जीवन में
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साँसें देकर अपनी, संगीत अमर कर दो
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होंठों से छूलो तुम ...
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22:04, 28 फ़रवरी 2010 का अवतरण

होंठों से छू लो तुम, मेरा गीत अमर कर दो
बन जाओ मीत मेरे, मेरी प्रीत अमर कर दो

न उमर की सीमा हो, न जनम का हो बंधन
जब प्यार करे कोई, तो देखे केवल मन
नई रीत चलाकर तुम, ये रीत अमर कर दो
होंठों से छूलो तुम ...

जग ने छीना मुझसे, मुझे जो भी लगा प्यारा
सब जीता किये मुझसे, मैं हर दम ही हारा
तुम हार के दिल अपना, मेरी जीत अमर कर दो
होंठों से छूलो तुम ...

आकाश का सूनापन, मेरे तनहा मन में
पायल छनकाती तुम, आ जाओ जीवन में
साँसें देकर अपनी, संगीत अमर कर दो
होंठों से छूलो तुम ...