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"मेरा नाम राजू घराना अनाम / शैलेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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बुझ गये ग़म की हवा से, प्यार के जलते चराग<br />
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बेवफ़ाई चाँद ने की, पड़ गया इसमें भी दाग<br />
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|रचनाकार=शैलेन्द्र
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मेरा नाम राजू घराना अनाम
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बहती है गंगा जहाँ मेरा धाम
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मेरा नाम राजू ...
  
हम दर्द के मारों का, इतना ही फ़साना है<br />
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काम नये नित गीत बनाना
पीने को शराब-ए-ग़म, दिल गम का निशाना है<br />
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गीत बना के जहां को सुनाना
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कोई न मिले तो अकेले में गाना
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कविराज कहे, न ये ताज रहे
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न ये राज रहे, न ये राजघराना
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प्रीत और प्रीत का गीत रहे
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कभी लूट सका न कोई ये खज़ाना
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मेरा नाम राजू ...
  
दिल एक खिलौना है, तक़दीर के हाथों में<br />
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धूल का इक बादल अलबेला
मरने की तमन्ना है, जीने का बहाना है<br />
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निकला हूँ अपने सफ़र में अकेला
 
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छुप-छुप देखूँ मैं दुनिया का मेला
देते हैं दुआएं हम, दुनिया की जफ़ाओं को<br />
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काहे मान करे, अभिमान करे
क्यों उनको भुलाएं हम, अब खुद को भुलाना है<br />
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नादान तुझे इक दिन तो है जाना
 
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डफ़ली उठा आवाज़ मिला
हँस हँस के बहारें तो, शबनम को रुलाती हैं<br />
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गा मिल के मेरे संग प्रेम तराना
आज अपनी मुहब्बत पर, बगिया को रुलाना है<br />
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मेरा नाम राजू ...
हम दर्द के मारों का, इतना ही फ़साना है
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</poem>

10:57, 1 मार्च 2010 के समय का अवतरण

मेरा नाम राजू घराना अनाम
बहती है गंगा जहाँ मेरा धाम
मेरा नाम राजू ...

काम नये नित गीत बनाना
गीत बना के जहां को सुनाना
कोई न मिले तो अकेले में गाना
कविराज कहे, न ये ताज रहे
न ये राज रहे, न ये राजघराना
प्रीत और प्रीत का गीत रहे
कभी लूट सका न कोई ये खज़ाना
मेरा नाम राजू ...

धूल का इक बादल अलबेला
निकला हूँ अपने सफ़र में अकेला
छुप-छुप देखूँ मैं दुनिया का मेला
काहे मान करे, अभिमान करे
नादान तुझे इक दिन तो है जाना
डफ़ली उठा आवाज़ मिला
गा मिल के मेरे संग प्रेम तराना
मेरा नाम राजू ...