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"काला शाह काला / पंजाबी" के अवतरणों में अंतर

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पुकारता चला हूँ मैं<br/>
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गली गली बहार की<br/>
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बस एक छाँव ज़ुल्फ़ की<br/>
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बस इक निगाह प्यार की<br/>
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पुकारता चला हूँ मैं<br/>
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|भाषा=पंजाबी
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<poem>
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काला शाह काला, मेरा काला ई सरदार
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गोरेआं नु दफा करो, मैं आप तिल्ले दी तार
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काला शाह काला...
  
ये दिल्लगी ये शोखियाँ सलाम की<br/>
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सस्ड़ीए तेरे पंज पुत्तर, दो ऐबी दो शराबी
यहीं तो बात हो रही है काम की<br/>
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जेहड़ा मेरे हाण दा ओ खिड़आ फुल्ल गुलाबी
कोई तो मुड़ के देख लेगा इस तरफ़<br/>
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काला शाह काला...
कोई नज़र तो होगी मेरे नाम की<br/>
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पुकारता चला हूँ मैं<br/>
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सुनी मेरी सदा तो किस यक़ीन से<br/>
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सस्ड़ीए तेरे पंज पुत्तर, दो टीन दो कनस्तर
घटा उतर के आ गयी ज़मीन पे<br/>
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जेहड़ा मेरे हाण दा ओ चला गया दफ्तर
रही यही लगन तो ऐ दिल--जवाँ<br/>
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काला शाह काला...
असर भी हो रहेगा इक हसीन पे<br/>
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</poem>
पुकारता चला हूँ मैं
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23:52, 1 मार्च 2010 का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

काला शाह काला, मेरा काला ई सरदार
गोरेआं नु दफा करो, मैं आप तिल्ले दी तार
काला शाह काला...

सस्ड़ीए तेरे पंज पुत्तर, दो ऐबी दो शराबी
जेहड़ा मेरे हाण दा ओ खिड़आ फुल्ल गुलाबी
काला शाह काला...

सस्ड़ीए तेरे पंज पुत्तर, दो टीन दो कनस्तर
जेहड़ा मेरे हाण दा ओ चला गया ए दफ्तर
काला शाह काला...