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"साइकिल पर गिटार / नीलेश रघुवंशी" के अवतरणों में अंतर
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समुद्र और पहाड़ों को करता है एकमेक | समुद्र और पहाड़ों को करता है एकमेक | ||
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घर को बना देना चाहता है आकाश | घर को बना देना चाहता है आकाश | ||
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समेट लेना चाहता है धरती को गोद में | समेट लेना चाहता है धरती को गोद में | ||
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भीगना चाहता है पहली बारिश में | भीगना चाहता है पहली बारिश में | ||
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लगाता है | लगाता है | ||
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गमले में अमरूद का पेड़ | गमले में अमरूद का पेड़ | ||
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सुनता है कहानियाँ | सुनता है कहानियाँ | ||
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जाता है शाम बग़ल की छत पर | जाता है शाम बग़ल की छत पर | ||
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लौटता है | लौटता है | ||
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साइकिल पर गिटार लिए | साइकिल पर गिटार लिए | ||
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छेड़ता है | छेड़ता है | ||
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कभी कोई प्यारी-सी धुन | कभी कोई प्यारी-सी धुन | ||
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निकालता है कभी गोलियों की आवाज़। | निकालता है कभी गोलियों की आवाज़। | ||
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बच्चा | बच्चा | ||
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अब सचमुच बड़ा हो गया है | अब सचमुच बड़ा हो गया है | ||
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गिटार और पिस्तौल में | गिटार और पिस्तौल में | ||
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कोई फ़र्क़ ही नहीं समझता। | कोई फ़र्क़ ही नहीं समझता। | ||
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12:49, 3 मार्च 2010 के समय का अवतरण
बच्चा बड़ा हो रहा है धीरे-धीरे
समुद्र और पहाड़ों को करता है एकमेक
घर को बना देना चाहता है आकाश
समेट लेना चाहता है धरती को गोद में
भीगना चाहता है पहली बारिश में
लगाता है
गमले में अमरूद का पेड़
सुनता है कहानियाँ
ढूँढता है पात्र आसपास।
जाता है शाम बग़ल की छत पर
लौटता है
साइकिल पर गिटार लिए
छेड़ता है
कभी कोई प्यारी-सी धुन
निकालता है कभी गोलियों की आवाज़।
बच्चा
अब सचमुच बड़ा हो गया है
गिटार और पिस्तौल में
कोई फ़र्क़ ही नहीं समझता।