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"शब्द / नीलेश रघुवंशी" के अवतरणों में अंतर

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वातावरण की ख़ामोशी
 
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उसमें--
 
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गूँजते तुम्हारे शब्द
 
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शब्दों में बंधा मेरा मन
 
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जिसे ढोते जा रहे हैं तुम्हारे शब्द
 
जिसे ढोते जा रहे हैं तुम्हारे शब्द
 
 
किसी पुल की तरह
 
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पुल वहीं है अब भी
 
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शब्द आगे निकल चुके हैं।
 
शब्द आगे निकल चुके हैं।
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13:06, 3 मार्च 2010 के समय का अवतरण

वातावरण की ख़ामोशी
उसमें--

गूँजते तुम्हारे शब्द
शब्दों में बंधा मेरा मन

जिसे ढोते जा रहे हैं तुम्हारे शब्द
किसी पुल की तरह

पुल वहीं है अब भी
शब्द आगे निकल चुके हैं।