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"बार-बार / नीलेश रघुवंशी" के अवतरणों में अंतर
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15:36, 5 मार्च 2010 के समय का अवतरण
एक बार घर के टूट जाने से
तुम्हें उदास नहीं होना चाहिए
चिड़ियों की तरह बनाएँगे
हम घर बार-बार।