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"सम्मोहन / अरविन्द चतुर्वेद" के अवतरणों में अंतर

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01:44, 7 मार्च 2010 के समय का अवतरण

तुम्हारी हँसी देखी
और ख़ुद हँसना भूल गया
एक-एक बूँद आँसू में
मैं जैसे डूब गया
तुम्हारी एक हिचकी
फैल गई समूची रात पर
और चाँद उतर आया
धीरे से
मेरे हाथ पर।