भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बाज़ीचा-ए-अत्फ़ाल है दुनिया मेरे आगे / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार=गा़लिब
+
|रचनाकार=ग़ालिब
 
}}
 
}}
 
[[Category:ग़ज़ल]]
 
[[Category:ग़ज़ल]]
 
<poem>
 
<poem>
  
बाज़ीचा-ए-अत्फ़ाल<ref>बच्चो के खेलने का मैदान</ref>है दुनिया मेरे आगे  
+
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल<ref>बच्चों के खेलने का मैदान</ref>है दुनिया मेरे आगे  
 
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे  
 
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे  
  
इक खेल है औरंग-ए-सुलेमाँ <ref>सुलेमान का राजसिंहासन</ref>मेरे नज़दीक  
+
इक खेल है औरंग-ए-सुलेमां<ref>सुलेमान का राजसिंहासन</ref> मेरे नज़दीक  
 
इक बात है ऐजाज़-ए-मसीहा<ref>ईसा का चमत्कार जिनकी फूँक से मुर्दे जीवित हो उठते थे</ref> मेरे आगे
 
इक बात है ऐजाज़-ए-मसीहा<ref>ईसा का चमत्कार जिनकी फूँक से मुर्दे जीवित हो उठते थे</ref> मेरे आगे
  
जुज़ नाम नहीं सूरत-ए-आलम मुझे मंज़ूर  
+
जुज़ नाम नहीं सूरत-ए-आ़लम मुझे मंज़ूर  
जुज़<ref>के सिवा </ref> वहम नहीं हस्ती-ए-अशिया<ref>हस्ती जैसी चीज़</ref> मेरे आगे  
+
जुज़<ref>के सिवा</ref> वहम नहीं हस्ती-ए-अशया<ref>हस्ती जैसी चीज़</ref> मेरे आगे  
  
होता है निहाँ <ref>लुप्त </ref>गर्द में सहरा मेरे होते  
+
होता है निहां<ref>लुप्त</ref> गर्द में सहरा मेरे होते  
 
घिसता है जबीं<ref>माथा</ref> ख़ाक पे दरिया मेरे आगे  
 
घिसता है जबीं<ref>माथा</ref> ख़ाक पे दरिया मेरे आगे  
  
मत पूछ के क्या हाल है मेरा तेरे पीछे  
+
मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे  
तू देख के क्या रंग है तेरा मेरे आगे  
+
तू देख कि क्या रंग है तेरा मेरे आगे  
  
 
सच कहते हो ख़ुदबीन-ओ-ख़ुदआरा<ref>गर्वित और आत्म-अलंकृत</ref> हूँ, न क्योँ हूँ  
 
सच कहते हो ख़ुदबीन-ओ-ख़ुदआरा<ref>गर्वित और आत्म-अलंकृत</ref> हूँ, न क्योँ हूँ  
पंक्ति 25: पंक्ति 25:
  
 
फिर देखिये अन्दाज़-ए-गुलअफ़्शानी-ए-गुफ़्तार<ref>बात का अंदाज़ यूँ कि जैसे फूल झड़ते हों</ref>  
 
फिर देखिये अन्दाज़-ए-गुलअफ़्शानी-ए-गुफ़्तार<ref>बात का अंदाज़ यूँ कि जैसे फूल झड़ते हों</ref>  
रख दे कोई पैमाना-ए-सहबा <ref>मधुपात्र और मदिरा</ref>मेरे आगे  
+
रख दे कोई पैमाना-ए-सहबा<ref>मधुपात्र और मदिरा</ref>मेरे आगे  
  
नफ़रत का गुमाँ गुज़रे है मैं रश्क से गुज़रा  
+
नफ़रत का गुमां गुज़रे है मैं रश्क से गुज़रा  
क्यों कर कहूँ लो नाम न उसका मेरे आगे  
+
क्योंकर कहूँ लो नाम ना उनका मेरे आगे  
  
ईमाँ मुझे रोके है जो खींचे है मुझे कुफ़्र  
+
ईमां मुझे रोके है जो खींचे है मुझे कुफ़्र  
 
काबा मेरे पीछे है कलीसा<ref>गिरजाघर</ref> मेरे आगे  
 
काबा मेरे पीछे है कलीसा<ref>गिरजाघर</ref> मेरे आगे  
  
आशिक़ हूँ माशूक़ फ़रेबी<ref>माशूक को रिझाने का काम</ref> है मेरा काम  
+
आशिक़ हूँ, पे माशूक़-फ़रेबी<ref>माशूक को रिझाने का काम</ref> है मेरा काम  
मजनूँ को बुरा कहती है लैला मेरे आगे  
+
मजनूं को बुरा कहती है लैला मेरे आगे  
  
 
ख़ुश होते हैं पर वस्ल में यूँ मर नहीं जाते  
 
ख़ुश होते हैं पर वस्ल में यूँ मर नहीं जाते  
आई शब-ए-हिजराँ<ref>विरह-रात्रि </ref> की तमन्ना मेरे आगे  
+
आई शब-ए-हिजरां<ref>विरह-रात्रि </ref> की तमन्ना मेरे आगे  
  
है मौजज़न <ref>लहरें मारता हुआ</ref>इक क़ुल्ज़ुम-ए-ख़ूँ<ref>रक्त का समुद्र</ref> काश! यही हो  
+
है मौज-ज़न<ref>लहरें मारता हुआ</ref> इक क़ुल्ज़ुम-ए-ख़ूँ<ref>रक्त का समुद्र</ref> काश! यही हो  
 
आता है अभी देखिये क्या-क्या मेरे आगे  
 
आता है अभी देखिये क्या-क्या मेरे आगे  
  
पंक्ति 45: पंक्ति 45:
 
रहने दो अभी साग़र-ओ-मीना मेरे आगे
 
रहने दो अभी साग़र-ओ-मीना मेरे आगे
 
   
 
   
हमपेशा-ओ-हममशरब-ओ-हमराज़<ref>सहव्यवसायी, सहपंथी</ref>  है मेरा  
+
हमपेशा-ओ-हम-मशरब-ओ-हमराज़<ref>सहव्यवसायी, सहपंथी</ref>  है मेरा  
'गा़लिब' को बुरा क्यों, कहो अच्छा, मेरे आगे  
+
'ग़ालिब' को बुरा क्यों, कहो अच्छा, मेरे आगे  
 
</poem>
 
</poem>
  
 
{{KKMeaning}}
 
{{KKMeaning}}

22:13, 7 मार्च 2010 का अवतरण


बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल<ref>बच्चों के खेलने का मैदान</ref>है दुनिया मेरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे

इक खेल है औरंग-ए-सुलेमां<ref>सुलेमान का राजसिंहासन</ref> मेरे नज़दीक
इक बात है ऐजाज़-ए-मसीहा<ref>ईसा का चमत्कार जिनकी फूँक से मुर्दे जीवित हो उठते थे</ref> मेरे आगे

जुज़ नाम नहीं सूरत-ए-आ़लम मुझे मंज़ूर
जुज़<ref>के सिवा</ref> वहम नहीं हस्ती-ए-अशया<ref>हस्ती जैसी चीज़</ref> मेरे आगे

होता है निहां<ref>लुप्त</ref> गर्द में सहरा मेरे होते
घिसता है जबीं<ref>माथा</ref> ख़ाक पे दरिया मेरे आगे

मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे
तू देख कि क्या रंग है तेरा मेरे आगे

सच कहते हो ख़ुदबीन-ओ-ख़ुदआरा<ref>गर्वित और आत्म-अलंकृत</ref> हूँ, न क्योँ हूँ
बैठा है बुत-ए-आईना सीमा<ref>दर्पण के जैसे चमकने वाला माशूक</ref> मेरे आगे

फिर देखिये अन्दाज़-ए-गुलअफ़्शानी-ए-गुफ़्तार<ref>बात का अंदाज़ यूँ कि जैसे फूल झड़ते हों</ref>
रख दे कोई पैमाना-ए-सहबा<ref>मधुपात्र और मदिरा</ref>मेरे आगे

नफ़रत का गुमां गुज़रे है मैं रश्क से गुज़रा
क्योंकर कहूँ लो नाम ना उनका मेरे आगे

ईमां मुझे रोके है जो खींचे है मुझे कुफ़्र
काबा मेरे पीछे है कलीसा<ref>गिरजाघर</ref> मेरे आगे

आशिक़ हूँ, पे माशूक़-फ़रेबी<ref>माशूक को रिझाने का काम</ref> है मेरा काम
मजनूं को बुरा कहती है लैला मेरे आगे

ख़ुश होते हैं पर वस्ल में यूँ मर नहीं जाते
आई शब-ए-हिजरां<ref>विरह-रात्रि </ref> की तमन्ना मेरे आगे

है मौज-ज़न<ref>लहरें मारता हुआ</ref> इक क़ुल्ज़ुम-ए-ख़ूँ<ref>रक्त का समुद्र</ref> काश! यही हो
आता है अभी देखिये क्या-क्या मेरे आगे

गो हाथ को जुम्बिश नहीं आँखों में तो दम है
रहने दो अभी साग़र-ओ-मीना मेरे आगे
 
हमपेशा-ओ-हम-मशरब-ओ-हमराज़<ref>सहव्यवसायी, सहपंथी</ref> है मेरा
'ग़ालिब' को बुरा क्यों, कहो अच्छा, मेरे आगे

शब्दार्थ
<references/>