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<td>&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक : खेलत फाग <br>
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<td>&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक : औरत की ज़िन्दगी <br>
&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[रसखान]]</td>
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&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[रघुवीर सहाय ]]</td>
 
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खेलत फाग सुहाग भरी,
 
अनुरागहिं लालन क धरि कै ।
 
  
भारत कुंकुम, केसर की
 
पिचकारिन में रंग को भरि कै ॥
 
  
गेरत लाल गुलाल लली,
+
कई कोठरियाँ थीं कतार में
मनमोहन मौज मिटा करि कै ।
+
उनमें किसी में एक औरत ले जाई गई
 +
थोड़ी देर बाद उसका रोना सुनाई दिया
  
जात चली रसखान अली,
+
उसी रोने से हमें जाननी थी एक पूरी कथा
मदमस्त मनी मन कों हरि कै ॥
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उसके बचपन से जवानी तक की कथा
 
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00:19, 8 मार्च 2010 का अवतरण

Lotus-48x48.png  सप्ताह की कविता   शीर्षक : औरत की ज़िन्दगी
  रचनाकार: रघुवीर सहाय



कई कोठरियाँ थीं कतार में
उनमें किसी में एक औरत ले जाई गई
थोड़ी देर बाद उसका रोना सुनाई दिया

उसी रोने से हमें जाननी थी एक पूरी कथा
उसके बचपन से जवानी तक की कथा