भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जब मैं तेरा गीत लिखने लगी /अमृता प्रीतम" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
+ | [[Category:पंजाबी भाषा]] | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
− | <poem> | + | <poem> |
मेरे शहर ने जब तेरे कदम छुए | मेरे शहर ने जब तेरे कदम छुए | ||
सितारों की मुठियाँ भरकर | सितारों की मुठियाँ भरकर |
03:08, 8 मार्च 2010 का अवतरण
मेरे शहर ने जब तेरे कदम छुए
सितारों की मुठियाँ भरकर
आसमान ने निछावर कर दीं
दिल के घाट पर मेला जुड़ा ,
ज्यूँ रातें रेशम की परियां
पाँत बाँध कर आई......
जब मैं तेरा गीत लिखने लगी
काग़ज़ के ऊपर उभर आईं
केसर की लकीरें
सूरज ने आज मेहंदी घोली
हथेलियों पर रंग गई,
हमारी दोनों की तकदीरें