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"गंगा जमुना / इन्साफ की डगर पर" के अवतरणों में अंतर

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20:10, 19 मार्च 2010 का अवतरण

रचनाकार:                  

इन्साफ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश हैं तुम्हारा, नेता तुम ही हो कल के

दुनियाँ के रंज सहना और कुछ ना मुँह से कहना
सच्चाईयों के बल पे, आगे को बढ़ते रहना
रख दोगे एक दिन तुम, संसार को बदल के

अपने हो या पराए, सब के लिए हो न्याय
देखो कदम तुम्हारा, हरगिज ना डगमगाए
रस्ते बडे कठिन हैं, चलना संभल संभल के

इन्सानियत के सर पे, इज्जत का ताज रखना
तन मन की भेंट देकर, भारत की लाज रखना
जीवन नया मिलेगा, अंतिम चिता में जल के