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"अंदाज़ / रे मामा रे मामा रे" के अवतरणों में अंतर
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(नया पृष्ठ: <poem> सुन् लो सुनाता हूँ तुमको काहानी रूठो ना हमसे ओ गुडियों कि रानी …) |
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03:54, 20 मार्च 2010 का अवतरण
रचनाकार: हसरत जयपुरी |
सुन लो सुनाता हूँ तुमको कहानी
रूठो ना हमसे ओ गुड़ियों की रानी
रे मामा रे मामा रे...
हम तो गए बाज़ार में लेने को आलू
आलू वालू कुछ न मिला पीछे पड़ा भालू
रे मामा रे मामा रे...
हम तो गए बाज़ार में लेने को लट्टू
लट्टू वट्टू कुछ न मिला पीछे पड़ा टट्टू
रे मामा रे मामा रे...
हम तो गए बाज़ार में लेने को रोटी
रोटी वोटी कुछ न मिली पीछे पड़ी मोटी
रे मामा रे मामा रे...