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"दोस्ती / गुड़िया हमसे रूठी रहोगी" के अवतरणों में अंतर

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'''रचनाकार् - मजरु सुलतानपुरी'''
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( गुडिया
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गुड़िया, हमसे रूठी रहोगी
हमसे रुठी रहोगी
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कब तक, न हँसोगी
कब् तक् ना हंसोगी
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देखो जी, किरन सी लहराई
देखो जी कीरन् सी लहर् आ ई
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आई रे आई रे हँसी आई
आ ई रे आ ई रे हंसी आ ई
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गुड़िया ...
देखो जी कीरन् सी लहर् आ ई
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आ ई रे आ ई रे हंसी आ ई ) - 2
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गुडिया
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( झुकी-झुकी पलकों मे आ के
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देखो गुप्-चुप् आँखो से झांके
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तुम्हारी हंसी
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गुप्-चुप् आँखो से झांके ) -२
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फिर् भी
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कब् तक् ना हसोगी
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देखो जी कीरन् सी लहर् आ ई
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आ ई रे आ ई रे हंसी आ ई ) - 2
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गुडिया
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( अभी-अभी आँखो से छलके
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झुकी-झुकी पलकों में आ के
अभी कुछ्-कुछ् होठों पे झलके
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देखो गुपचुप आँखों से झाँके
तुम्हारी हंसी
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तुम्हारी हँसी
कुछ्-कुछ् होठों पे झलके ) -२
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फिर भी, अँखियाँ बन्द करोगी
फिर् भी
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गुड़िया ...
मुख् पे हाथ् धरोगी
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कब् तक् ना हंसोगी
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अभी-अभी आँखों से छलके
( देखो जी किरन् सि लहराई
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कुछ-कुछ होंठों पे झलके
आ ई रे आ ई रे हंसी आ ई ) -
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तुम्हारी हँसी
गुडिया
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फिर भी, मुख पे हाथ धरोगी
हमसे रुठी रहोगी
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गुड़िया ...
कब् तक् ना हसोगी
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( देखो जि किरन् सि लहराई
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आ ई रे आ ई रे हंसी आ ई ) -२
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04:36, 20 मार्च 2010 का अवतरण

रचनाकार: मजरूह सुल्तानपुरी                 

गुड़िया, हमसे रूठी रहोगी
कब तक, न हँसोगी
देखो जी, किरन सी लहराई
आई रे आई रे हँसी आई
गुड़िया ...

झुकी-झुकी पलकों में आ के
देखो गुपचुप आँखों से झाँके
तुम्हारी हँसी
फिर भी, अँखियाँ बन्द करोगी
गुड़िया ...

अभी-अभी आँखों से छलके
कुछ-कुछ होंठों पे झलके
तुम्हारी हँसी
फिर भी, मुख पे हाथ धरोगी
गुड़िया ...