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"जो उसे पुकारता है / अशोक वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर
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15:54, 20 मार्च 2010 के समय का अवतरण
वह जौसे पुकारता है
उसे उसकी आँखों को
सम्बोधित करना चहिए,
उसकी हँसी से बात करनी चाहिए,
उसकी हैरानी को लिखना चाहिए।
वह जो उसे पुकारता है
उसे कोमल उँगलियों से कहना चाहिए,
शब्दों को उसकी बाँहें लपेटना चाहिए,
कविताओं को उसके कुचाग्रों पर
कत्थई होना चाहिए।
वह जो उसे पुकारता है
उसे पुकार को भरना चाहिए-
धरती की गन्ध से,
आकाश के शून्य से,
आग की लपट से,
हवा के स्पर्श से,
जल के प्रवह से।