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"ऐसा मानों / अशोक वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर

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16:01, 20 मार्च 2010 के समय का अवतरण

ऐसा मानों
उसके थोड़ी देर पहले चले जाने के
ठीक बाद आए हो,
हवा में उसकी गन्ध है
अचूक और अदृश्य।

ऐसा मानों
तुमने दरवाज़े पर दस्तक दी है
उसके घर छोड़ने के ठीक बाद,
जगह उसके स्पर्श से गरम है,
कप ऐशट्रे
ग्लास
सफ़ेद वाईन की आख़िरी बूँदें
सब अनगूँजते हैं
उसकी लय से।

ऐसा मानों
ईश्वर ने उठाया
अभी-अभी उसका सूटकेस उठाया
और कार का दरवाज़ा
विनयपूर्वक खोला,
इसके पहले कि वह गई
या तो यहाँ से
या कि यहाँ के लिए।