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"एक-एक रोम को / अशोक वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर
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जैसे ओस भिगोती है
हरी घास के हर तिनके को,
वैसे क्या मेरा प्रेम मुदित कर सकता है
उसके एक-एक रोम को?