भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्रतीक्षा करो-1 / अशोक वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक वाजपेयी |संग्रह=उम्मीद का दूसरा नाम / अशोक …)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:06, 20 मार्च 2010 के समय का अवतरण

प्रतीक्षा करो
कि वह अभी घर में नहीं है;
प्रतीक्षा करो
कि वह अपने काम में लगी है;
प्रतीक्षा करो कि वह सो रही है;
प्रतीक्षा करो कि वह नहा रही है;

प्रतीक्षा करो कि वह सपने में है;
प्रतीक्षा करो कि वह सच बुन रही है;
प्रतीक्षा करो कि वह दूर से आ रही है;
प्रतीक्षा करो कि वह थककर कहीं जा रही है;

प्रतीक्षा करो कि वह जाना नहीं चाहती;
प्रतीक्षा करो कि वह जा रही है;
प्रतीक्षा करो कि वह आना नहीं चाहती;
प्रतीक्षा करो कि वह आ रही है;

प्रतीक्षा करो कि वह कहे
तुम कब से प्रतीक्षा कर रहे हो?
प्रतीक्षा करो कि वह कहे
अच्छा हुआ कि तुम प्रतीक्षा कर रहे हो!

प्रतीक्षा करो
क्योंकि वह प्रतीक्षा कर रही है।