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"दामोदर जोशी 'देवांशु' / परिचय" के अवतरणों में अंतर

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'''दामोदर जोश देवांशु'''
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'''दामोदर जोशी देवांशु'''
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'''जन्म स्थान''' : ग्राम तोली (कपकोट) जिला बागेश्वर, उत्तराखंड।
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'''कुछ प्रमुख कृतियाँ''' : कुदरत, पखांण, शिखर, गद्यांजलि, अन्वार, आपणि पन्यार आदि।
  
जन्म स्थान : ग्राम तोली (कपकोट) जिला बागेश्वर, उत्तराखंड।
 
कुछ प्रमुख कृतियाँ: कुदरत, पखांण, शिखर, गद्यांजलि, अन्वार, आपणि पन्यार आदि।
 
 
विविध: आपकी लेखनी कभी चंद वंशीय राजाओं की राष्ट्रभाषा रही कुमाउनी के साथ राष्ट्रभाषा हिन्दी मैं भी सामान रूप से चलती है। कुमाउनी में पहला गद्य-संग्रह (गद्यांजलि), पहला कहानी-संग्रह (अन्वार) व पहला नाटक-संग्रह (आपणि पन्यार) के सम्पादन का श्रेय श्री जोशी को जाता है। लुप्त हो रही लोकभाषा कुमाउनी में खुद लिखने के साथ दूसरों को भी प्रेरित कर उनसे लिखवाते हैं।
 
विविध: आपकी लेखनी कभी चंद वंशीय राजाओं की राष्ट्रभाषा रही कुमाउनी के साथ राष्ट्रभाषा हिन्दी मैं भी सामान रूप से चलती है। कुमाउनी में पहला गद्य-संग्रह (गद्यांजलि), पहला कहानी-संग्रह (अन्वार) व पहला नाटक-संग्रह (आपणि पन्यार) के सम्पादन का श्रेय श्री जोशी को जाता है। लुप्त हो रही लोकभाषा कुमाउनी में खुद लिखने के साथ दूसरों को भी प्रेरित कर उनसे लिखवाते हैं।
 
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03:29, 25 मार्च 2010 के समय का अवतरण

दामोदर जोशी देवांशु

जन्म स्थान : ग्राम तोली (कपकोट) जिला बागेश्वर, उत्तराखंड।

कुछ प्रमुख कृतियाँ : कुदरत, पखांण, शिखर, गद्यांजलि, अन्वार, आपणि पन्यार आदि।

विविध: आपकी लेखनी कभी चंद वंशीय राजाओं की राष्ट्रभाषा रही कुमाउनी के साथ राष्ट्रभाषा हिन्दी मैं भी सामान रूप से चलती है। कुमाउनी में पहला गद्य-संग्रह (गद्यांजलि), पहला कहानी-संग्रह (अन्वार) व पहला नाटक-संग्रह (आपणि पन्यार) के सम्पादन का श्रेय श्री जोशी को जाता है। लुप्त हो रही लोकभाषा कुमाउनी में खुद लिखने के साथ दूसरों को भी प्रेरित कर उनसे लिखवाते हैं।