"शहर के दुकाँदारो / जावेद अख़्तर" के अवतरणों में अंतर
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− | शहर के दुकाँदारो कारोबार-ए-उलफ़त में | + | शहर के दुकाँदारो, कारोबार-ए-उलफ़त में |
− | सूद क्या | + | सूद क्या ज़ियां<ref>नुकसान</ref> क्या है, तुम न जान पाओगे |
− | दिल के दाम कितने हैं ख़्वाब कितने मँहगे हैं | + | दिल के दाम कितने हैं, ख़्वाब कितने मँहगे हैं |
− | और नकद-ए- | + | और नकद-ए-जां क्या है, तुम न जान पाओगे |
कोई कैसे मिलता है, फूल कैसे खिलता है | कोई कैसे मिलता है, फूल कैसे खिलता है | ||
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शौक़ की ज़बाँ क्या है तुम न जान पाओगे | शौक़ की ज़बाँ क्या है तुम न जान पाओगे | ||
− | वस्ल का | + | वस्ल का सुकूं क्या हैं, हिज्र का जुनूं क्या है |
− | हुस्न का फ़ुसूँ<ref>जादू</ref> क्या है, इश्क़ के | + | हुस्न का फ़ुसूँ<ref>जादू</ref> क्या है, इश्क़ के दुरूं<ref>अंदर</ref> क्या है |
तुम मरीज़-ए-दानाई<ref>जिसे सोचने समझने का रोग हो</ref>, मस्लहत के शैदाई<ref>कूटनीति पसंद करने वाला</ref> | तुम मरीज़-ए-दानाई<ref>जिसे सोचने समझने का रोग हो</ref>, मस्लहत के शैदाई<ref>कूटनीति पसंद करने वाला</ref> | ||
− | राह ए | + | राह ए गुमरहां क्या है, तुम न जान पाओगे |
ज़ख़्म कैसे फलते हैं, दाग कैसे जलते हैं | ज़ख़्म कैसे फलते हैं, दाग कैसे जलते हैं | ||
दर्द कैसे होता है, कोई कैसे रोता है | दर्द कैसे होता है, कोई कैसे रोता है | ||
− | अश्क़ क्या है नाले<ref> | + | अश्क़ क्या है नाले<ref>रुदन</ref> क्या, दश्त क्या है छाले क्या |
− | आह क्या | + | आह क्या फ़ुग़ां<ref>फ़रियाद</ref> क्या है, तुम न जान पाओगे |
− | नामुराद दिल कैसे सुबह-ओ-शाम करते हैं | + | नामुराद दिल कैसे, सुबह-ओ-शाम करते हैं |
− | कैसे जिंदा रहते हैं और कैसे मरते हैं | + | कैसे जिंदा रहते हैं, और कैसे मरते हैं |
− | तुमको कब नज़र आई ग़मज़दों<ref>दुखियारों</ref> की तनहाई | + | तुमको कब नज़र आई, ग़मज़दों<ref>दुखियारों</ref> की तनहाई |
− | ज़ीस्त बे- | + | ज़ीस्त बे-अमां<ref>असुरक्षित जीवन</ref> क्या है, तुम न जान पाओगे |
− | जानता हूँ कि तुम को ज़ौक़े-शायरी<ref>शायरी का शौक</ref> भी है | + | जानता हूँ कि तुम को, ज़ौक़े-शायरी<ref>शायरी का शौक</ref> भी है |
− | शख़्सियत सजाने में इक ये माहिरी भी है | + | शख़्सियत सजाने में, इक ये माहिरी भी है |
फिर भी हर्फ़ चुनते हो, सिर्फ लफ़्ज़ सुनते हो | फिर भी हर्फ़ चुनते हो, सिर्फ लफ़्ज़ सुनते हो | ||
− | इनके | + | इनके दरमियां क्या हैं, तुम न जान पाओगे |
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07:00, 28 मार्च 2010 का अवतरण
शहर के दुकाँदारो, कारोबार-ए-उलफ़त में
सूद क्या ज़ियां<ref>नुकसान</ref> क्या है, तुम न जान पाओगे
दिल के दाम कितने हैं, ख़्वाब कितने मँहगे हैं
और नकद-ए-जां क्या है, तुम न जान पाओगे
कोई कैसे मिलता है, फूल कैसे खिलता है
आँख कैसे झुकती है, साँस कैसे रुकती है
कैसे रह निकलती है, कैसे बात चलती है
शौक़ की ज़बाँ क्या है तुम न जान पाओगे
वस्ल का सुकूं क्या हैं, हिज्र का जुनूं क्या है
हुस्न का फ़ुसूँ<ref>जादू</ref> क्या है, इश्क़ के दुरूं<ref>अंदर</ref> क्या है
तुम मरीज़-ए-दानाई<ref>जिसे सोचने समझने का रोग हो</ref>, मस्लहत के शैदाई<ref>कूटनीति पसंद करने वाला</ref>
राह ए गुमरहां क्या है, तुम न जान पाओगे
ज़ख़्म कैसे फलते हैं, दाग कैसे जलते हैं
दर्द कैसे होता है, कोई कैसे रोता है
अश्क़ क्या है नाले<ref>रुदन</ref> क्या, दश्त क्या है छाले क्या
आह क्या फ़ुग़ां<ref>फ़रियाद</ref> क्या है, तुम न जान पाओगे
नामुराद दिल कैसे, सुबह-ओ-शाम करते हैं
कैसे जिंदा रहते हैं, और कैसे मरते हैं
तुमको कब नज़र आई, ग़मज़दों<ref>दुखियारों</ref> की तनहाई
ज़ीस्त बे-अमां<ref>असुरक्षित जीवन</ref> क्या है, तुम न जान पाओगे
जानता हूँ कि तुम को, ज़ौक़े-शायरी<ref>शायरी का शौक</ref> भी है
शख़्सियत सजाने में, इक ये माहिरी भी है
फिर भी हर्फ़ चुनते हो, सिर्फ लफ़्ज़ सुनते हो
इनके दरमियां क्या हैं, तुम न जान पाओगे