भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"छठे तत्व के कारण / कुमार सुरेश" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: == == छठे तत्व के कारण <poem> </एक दिन सब कुछ बदल जायेगा लोग दिखाई देते है …)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
 
==  
 
==  
 
== छठे तत्व के कारण <poem>
 
== छठे तत्व के कारण <poem>
  
</एक दिन सब कुछ बदल जायेगा  
+
एक दिन सब कुछ बदल जायेगा  
 
लोग दिखाई देते है वे सभी  
 
लोग दिखाई देते है वे सभी  
 
समुद्र आसमान धरती  
 
समुद्र आसमान धरती  
पंक्ति 15: पंक्ति 14:
  
 
प्रेम बदल जायेगा  
 
प्रेम बदल जायेगा  
चुम्बक या ब्लैक होले में
+
चुम्बक या ब्लैक होल में
  
 
लेकिन यह तय है  
 
लेकिन यह तय है  

13:38, 2 अप्रैल 2010 का अवतरण

==

== छठे तत्व के कारण


एक दिन सब कुछ बदल जायेगा
लोग दिखाई देते है वे सभी
समुद्र आसमान धरती
सारा आँख भर परिदृश्य

नदियाँ भाप बन जाएँगी
जमीं आग
आसमान कला रंग जायेगा
हम बदल जायेंगे
मूल तत्वों मैं

प्रेम बदल जायेगा
चुम्बक या ब्लैक होल में

लेकिन यह तय है
किसी न किसी रूप में
बाकि रहेगे पानी धरती आकाश हवा आग
और प्रेम
कुछ भी कभी नष्ट नहीं होता

पञ्च तत्वों के सयोंग से प्रेम
सृजित कर लेगा नयी सृष्टि
इस छठे तत्व के कारण
सब कुछ पहले सा हो जायेगा एक दिन

 
 

>==
 ==