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"पूर्वाग्रह / राग तेलंग" के अवतरणों में अंतर

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(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राग तेलंग |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <Poem> सारी खुशियाँ क्षणि…)
 
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21:31, 2 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण

सारी खुशियाँ
क्षणिक सिद्ध हुईं
क्योंकि पूर्वाग्रहों ने उन्हें मार डाला
सारे क्षणिक गुस्से
और मज़बूत होकर
नफ़रत में बदल गए
क्योंकि पूर्वाग्रहों ने कंक्रीट का काम किया
जीवन इस तरह
एक असीम दुख में बदल जाता है
पूर्वाग्रहों को
हम ही जीवित रखते हैं ।