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"वृत्तांत / राग तेलंग" के अवतरणों में अंतर
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21:45, 2 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
चलते रहना आगे ही आगे
जिसकी प्रकृति में आ गया
उसके पीछे सारा जहान है
समय के मुताबिक
समय में ढलते हुए
खुद एक निश्चित दिशा हो जाने तक
काल के अवरोधों को पार करते जाना
यही तो है यात्रा वृत्तांत
याद रहे
घड़ी में ठहरा हुआ समय
एक परास्त क्षण का दर्ज़ इतिहास है और
विजेताओं के नाम की इबारतें
लोगों की स्मृतियों में लिखी होती हैं ।
अपने समय से मुठभेड़ करते-करते
शायद हार जाओ तुम
तब भी देखना
तुम पाओगे
तुमने चक्रव्यूह का भेद तो जान ही लिया है और
तुम्हारे पास अगली बार के लिए होगा
मंत्र
जिसे तुम अपनी कूट भाषा में
बताओगे
आख़िरी वक़्त
अपने किसी को ।