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"ख़ामोशी की गलियों में / हरकीरत हकीर" के अवतरणों में अंतर
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15:07, 3 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
कुछ दिन गज़ारे हैं फिर
ख़ामोशी की गलियों में
वहाँ पेड़ों की छाया नहीं थी
साँसों का भी कोई पता नहीं
बस पत्ते पैर छूते रहे....