भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मन की लाशें / हरकीरत हकीर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरकीरत हकीर }} {{KKCatNazm}} <Poem> जब मन की लाशें डूबती हैं क…)
 
(कोई अंतर नहीं)

15:12, 3 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण

जब मन की लाशें
डूबती हैं कुएँ में
रस्सी पीटती है छाती
मौत हिफ़ाजत से रखती है पैर
रूहें अपना वंश बढ़ाने लगती हैं
इक पत्थर धीरे-धीरे तोड़ता है चूडियाँ
साँसों की....