भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बचो-बचो! / तसलीमा नसरीन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=तसलीमा नसरीन }} Category:बांगला <poem> तुम्हारे पीछे …) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:28, 4 अप्रैल 2010 का अवतरण
|
तुम्हारे पीछे कुत्तों का झुण्ड लगा है
ध्यान रखना, कुत्तों की देह में होता है रैबिस।
तुम्हारे पीछे मरदों का झुण्ड लगा है
याद रहे,
सिफ़लिस।