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19:57, 18 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
यौनिकता है नाज़ी!
स्कूल में ही यह समझ जाते हैं विद्यार्थी!
इसकी खातिर सभी हैं अर्द्धमानव
जीवन में कुछ समय तक
और कुछ तो सारी ज़िन्दगी!
यदि तुम्हें इसकी बहुत चिन्ता हो तो
तुम भी उनमें से एक हो जाओगे!
ख़ूबसूरत नाज़ी, क्यों होते हैं वे इतने क्रूर?
बधियाकरण क्योंकर अलग लीक कोड़ लेने वाला,
मौलकों, आहतों का,
जो कर सकते हैं हमारा नस्ल-सुधार?
कौन हैं जो कि स्कूल कभी नहीं छोड़ते!
सच के लिए चुप हैं हम!
ख़ुश कर देने वाले सपने की ख़ातिर
सामूहिक, फटफटिया आश्वासन के बीच
हम ऐंठते हैं पीड़ा से, चिल्लाते हैं- लेकिन नाज़ी क्या है?
भीड़ों की खातिर ट्यून हुई यौनिकता!
यह कैल्वन एस०एस० है :
तुम हो वो मिला है तुम्हें जो!
गोली जब चल चुकी होगी तुम पर-
काम शुरू होगा तुम्हारा,
तुम तड़पोगे और फिर करोगे मीठी बातें
हालाँकि भीतर के गरम-गरम बादल से
फूट पड़ेंगे आँसू गुपचुप!
अंग्रेज़ी से अनुवाद : अनामिका