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20:05, 18 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
घर है पहली
और अन्तिम कविता।
बीच की हर कविता
में होती हैं धारियाँ
माँ के घर की!
घर सबसे कमज़ोर दुश्मन
जैसे कि पिघलता हुआ लोहा,
पर युद्ध घर के खिलाफ़
है सबसे लम्बी पगयात्रा!
घर के पड़ोसी नहीं होते
पेड़ या साइनबोर्ड से भी
कमज़ोर होते हैं वे!
अपने वही होते हैं-
लौट आते हैं जो!
और फिर उसके तुरन्त बाद
अपने उदास, रज़ाई-पर फैलाए
उड़ता है एक चकाचक-सा हवाईजहाज़। रुमानी चीज़ों के साथ
घर लौटना चाहिए भावों को
अन्तिम निर्णय के तुरन्त बाद!
हो सकता है प्रेम
ताज़ा - टटका और तरल, इतना कि
रंध्रों से करके प्रवेश मलुआ दे वह
जो भी घर में है मुस्तैदी से सजा-धजा!
अंग्रेज़ी से अनुवाद : अनामिका