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"रेल / आलोक धन्वा" के अवतरणों में अंतर

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12:07, 19 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण

हर भले आदमी की एक रेल होती है
जो माँ के घर की ओर जाती है
सीटी बजाती हुई
धुआँ उड़ाती हुई।