भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पश्चिम की स्त्री-2 / राजशेखर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजशेखर |संग्रह= }} Category:बांगला {{KKCatKavita}} <Poem> खेल का क…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
19:15, 21 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
खेल का
करना संचार
तरंग में लहराती
भ्रूलेखा दिखाना
रम्य मुद्रा में ठहर जाना
अनादर से अर्पित मान की
भंगिमा में बोलते जाना
प्रेम में करना बतकही
अंग-अंग अर्पित कर
सुन्दर रूप में रमना
उज्जयिनी की
जनियों के तज कर
आता नही है
हर किसी को
मूल संस्कृत से अनुवाद : राधावल्लभ त्रिपाठी