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"गीत-गाथा / कौशल्या गुप्ता" के अवतरणों में अंतर

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22:26, 24 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण

कवि ने गीत लिखा
फूल पर
ख़ुश हुआ बहुत
आप ही,
अपनी ही कृति पर।

पहुँचा वह गीत सुनाने
बाग़ में फूल को,
बताने उसे,
उसे कितना सुन्दर
बताया है गीत में।

गीत-गाथा में मग्न
घर वापिस आ गया-
और पौधा मुरझा गया।

उसे गीत नहीं सुनना था
वह प्यासा था।