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"गाँव की आँख / एकांत श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

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भूखे-प्‍यासे<br />
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धूल-मिट्टी में सने<br />
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हम फुटपाथी बच्‍चे<br />
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|रचनाकार=एकांत श्रीवास्तव
हुजूर, माई-बाप, सरकार<br />
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हाथ जोड़ते हैं आपसे<br />
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न हों तो एक प्‍यार भरी नजर<br />
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भूखे-प्‍यासे
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धूल-मिट्टी में सने
हम मॉं की आंख के सूखे हुए आंसू<br />
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हम फुटपाथी बच्‍चे
हम पिता के सपनों के उड़े हुए रंग<br />
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हुजूर, माई-बाप, सरकार
हम बहन की राखी के टूटे हुए धागे<br />
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हाथ जोड़ते हैं आपसे
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हम बहन की राखी के टूटे हुए धागे
 
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कई महीने बीत गये<br />
 
कई महीने बीत गये<br />
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हमें देखती है<br />
 
हमें देखती है<br />
 
गॉंव की आंख.<br />
 
गॉंव की आंख.<br />
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18:30, 28 अप्रैल 2010 का अवतरण

भूखे-प्‍यासे
धूल-मिट्टी में सने
हम फुटपाथी बच्‍चे
हुजूर, माई-बाप, सरकार
हाथ जोड़ते हैं आपसे
दस-पॉंच पैसे के लिए
हों तो दे दीजिए
न हों तो एक प्‍यार भरी नजर

हम मॉं की आंख के सूखे हुए आँसू
हम पिता के सपनों के उड़े हुए रंग
हम बहन की राखी के टूटे हुए धागे


कई महीने बीत गये

ट्रेन में लटककर यहॉं आये

बिछुड़े अपने गॉंव से



लेकिन आज भी

जब सड़क के कंधे से टिककर

भूखे-प्‍यासे सो जाते हैं हम

घुटनों को पेट में मोड़े



तब हजारों मील दूर से

हमें देखती है

गॉंव की आंख.