भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"रोया / रघुवीर सहाय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार =रघुवीर सहाय |संग्रह =हँसो हँसो जल्दी हँसो / रघुव…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:52, 30 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
मैंने जमा कीं
नौ जवान
या दस बेबस लड़कियाँ
और उन्हें चिपके कपड़े पहना दिए
फिर मैं रोया उनके स्तनों की असली शक्ल देखकर