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"कविता की ज़रूरत-2 / एकांत श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
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उतरेंगे वृक्षों पर जंगली तोते | उतरेंगे वृक्षों पर जंगली तोते | ||
बाढ़ में डूबी पृथ्वी की पहली सिसकी | बाढ़ में डूबी पृथ्वी की पहली सिसकी | ||
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और एक घर के भरभराकर | और एक घर के भरभराकर | ||
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घने जंगलों के बीच | घने जंगलों के बीच | ||
भूखे लोगों के पड़ाव में | भूखे लोगों के पड़ाव में | ||
खौलता हुआ अदहन | खौलता हुआ अदहन | ||
− | जिस समय | + | जिस समय माँगेगा अन्न |
उसी समय | उसी समय | ||
उसी समय पैदा होगी | उसी समय पैदा होगी | ||
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19:28, 1 मई 2010 के समय का अवतरण
जिस समय जाल
पानी में फेंका जा चुका होगा
जिस समय बीज
खेतों में बोए जा चुके होंगे
जिस समय एक नाव
नदी की सबसे तेज़ धार को
काट रही होगी
उसी समय
उसी समय पैदा होगी
कविता की ज़रूरत
जिस समय
पकते फलों की सुगंध से बेचैन हो
उतरेंगे वृक्षों पर जंगली तोते
बाढ़ में डूबी पृथ्वी की पहली सिसकी
सुनाई देगी जिस समय
और एक घर के भरभराकर
गिरने की आवाज़
घने जंगलों के बीच
भूखे लोगों के पड़ाव में
खौलता हुआ अदहन
जिस समय माँगेगा अन्न
उसी समय
उसी समय पैदा होगी
कविता की ज़रूरत।
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