"पतझड़-1 / एकांत श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
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देखते हैं पीले पत्तों का झड़ना | देखते हैं पीले पत्तों का झड़ना | ||
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सुनो! तुम्हारे पतझड़ के पत्ते | सुनो! तुम्हारे पतझड़ के पत्ते | ||
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क्या मेरे पतझड़ के पत्ते भी | क्या मेरे पतझड़ के पत्ते भी | ||
तुम्हारे पतझड़ में | तुम्हारे पतझड़ में | ||
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कि ये तुम्हारे पतझड़ के पत्ते नहीं हैं? | कि ये तुम्हारे पतझड़ के पत्ते नहीं हैं? | ||
− | सुनो! | + | सुनो! सिर्फ़ हम ही नहीं हैं |
कितने हैं हमारी तरह | कितने हैं हमारी तरह | ||
अपने-अपने वसन्त से निर्वासित | अपने-अपने वसन्त से निर्वासित | ||
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सिर्फ पीले पत्तों का झड़ना | सिर्फ पीले पत्तों का झड़ना | ||
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− | अलग | + | अलग कहाँ हैं हमारे अँधेरे |
− | अलग | + | अलग कहाँ है हम सबके पतझड़ों में |
झड़ते पीले पत्तों की मार्मिक पुकार | झड़ते पीले पत्तों की मार्मिक पुकार | ||
वसन्त! ओ वसन्त! | वसन्त! ओ वसन्त! | ||
− | सुनो! मार्च के | + | सुनो! मार्च के अँधेरे में |
कितनी धीमी लेकिन कितनी | कितनी धीमी लेकिन कितनी | ||
− | तरल है यह | + | तरल है यह आवाज़ |
क्या तुम्हारा मन नहीं चाहता | क्या तुम्हारा मन नहीं चाहता | ||
− | कि जल्दी-जल्दी चप्पल में | + | कि जल्दी-जल्दी चप्पल में पाँव डालकर |
− | + | कमीज़ के बटन लगाते निकल जाओ | |
− | इस | + | इस आवाज़ के पीछे? |
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19:35, 1 मई 2010 के समय का अवतरण
हम दोनों
धरती के अलग-अलग छोरों पर
अलग-अलग अँधेरे में
देखते हैं पीले पत्तों का झड़ना
झड़ने से पहले
उनका पीला पड़ना
उससे भी पहले उनका गृहस्थ से
वानप्रस्थ के लिए तैयार होना
सुनो! तुम्हारे पतझड़ के पत्ते
उड़कर आ गए हैं मेरे पतझड़ में
क्या मेरे पतझड़ के पत्ते भी
तुम्हारे पतझड़ में
भटक जाते हैं कभी-कभी?
क्या तुम पहचान सकते हो
कि ये तुम्हारे पतझड़ के पत्ते नहीं हैं?
सुनो! सिर्फ़ हम ही नहीं हैं
कितने हैं हमारी तरह
अपने-अपने वसन्त से निर्वासित
कितने हैं जो देख रहे हैं
सिर्फ पीले पत्तों का झड़ना
अलग कहाँ हैं हमारे पतझड़
अलग कहाँ हैं हमारे अँधेरे
अलग कहाँ है हम सबके पतझड़ों में
झड़ते पीले पत्तों की मार्मिक पुकार
वसन्त! ओ वसन्त!
सुनो! मार्च के अँधेरे में
कितनी धीमी लेकिन कितनी
तरल है यह आवाज़
क्या तुम्हारा मन नहीं चाहता
कि जल्दी-जल्दी चप्पल में पाँव डालकर
कमीज़ के बटन लगाते निकल जाओ
इस आवाज़ के पीछे?