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"घेरा / नवीन सागर" के अवतरणों में अंतर

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पहली वारदार
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पहली वारदात
हजारों मील दूर कहीं होती है
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हज़ारों मील दूर कहीं होती है
 
और दूसरी पड़ोसी राज्‍य में
 
और दूसरी पड़ोसी राज्‍य में
 
इसके बाद
 
इसके बाद
पास के शहरों से खबरें आती हैं
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पास के शहरों से ख़बरें आती हैं
 
एक दिन शहर में
 
एक दिन शहर में
 
फैलती है सनसनी
 
फैलती है सनसनी
और तनाव के बाद हॅंसी डरी हुई
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और तनाव के बाद हँसी डरी हुई
दिखती है अपनी खिड़की के पास.
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दिखती है अपनी खिड़की के पास।
  
 
फिर एक वारदात से  
 
फिर एक वारदात से  
घण्‍टा भर पहले वहॉं थे हम
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घण्‍टा भर पहले वहाँ थे हम
 
यह सुनाते हुए रोमांच होता है  
 
यह सुनाते हुए रोमांच होता है  
 
फटा-फूटा हुआ.
 
फटा-फूटा हुआ.
 
कहीं से वारदात के बाद
 
कहीं से वारदात के बाद
गुजरते हुए
+
गुज़रते हुए
खिड़कियों से झॉंकते मुंह बाए
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खिड़कियों से झाँकते मुँह बाए
 
देखते हैं जगह
 
देखते हैं जगह
और लोगों की उदासी.
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और लोगों की उदासी।
  
 
फिर एक दिन बहुत पास
 
फिर एक दिन बहुत पास
 
हड़बड़ी में भागते हुए दिखते हैं
 
हड़बड़ी में भागते हुए दिखते हैं
 
झपटती मृत्‍यु से
 
झपटती मृत्‍यु से
बहुत कम फासले पर.
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बहुत कम फासले पर।
  
हम सुनाते हैं हॉंफते हुए
+
हम सुनाते हैं हाँफते हुए
दरवाजे बंद करते
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दरवाज़े बंद करते
बच्‍चे दीवारों में जोर-जोर से
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बच्‍चे दीवारों में ज़ोर-ज़ोर से
 
रोते हैं अकस्‍मात्!
 
रोते हैं अकस्‍मात्!
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23:09, 4 मई 2010 के समय का अवतरण

पहली वारदात
हज़ारों मील दूर कहीं होती है
और दूसरी पड़ोसी राज्‍य में
इसके बाद
पास के शहरों से ख़बरें आती हैं
एक दिन शहर में
फैलती है सनसनी
और तनाव के बाद हँसी डरी हुई
दिखती है अपनी खिड़की के पास।

फिर एक वारदात से
घण्‍टा भर पहले वहाँ थे हम
यह सुनाते हुए रोमांच होता है
फटा-फूटा हुआ.
कहीं से वारदात के बाद
गुज़रते हुए
खिड़कियों से झाँकते मुँह बाए
देखते हैं जगह
और लोगों की उदासी।

फिर एक दिन बहुत पास
हड़बड़ी में भागते हुए दिखते हैं
झपटती मृत्‍यु से
बहुत कम फासले पर।

हम सुनाते हैं हाँफते हुए
दरवाज़े बंद करते
बच्‍चे दीवारों में ज़ोर-ज़ोर से
रोते हैं अकस्‍मात्!