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"बाहर जब दरवाज़े पर आयेगा / नवीन सागर" के अवतरणों में अंतर

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वह छीना जाएगा
 
वह छीना जाएगा
 
जल्‍दी ही पुरखों के नाम पर पुरखों की हत्‍या होगी
 
जल्‍दी ही पुरखों के नाम पर पुरखों की हत्‍या होगी
घरों में कातिल घुसेगा जिंदगी ठीक-ठाक करने
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घरों में कातिल घुसेगा ज़िंदगी ठीक-ठाक करने
सोने और जागने खाने-पीने और रोने हॅंसने
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सोने और जागने खाने-पीने और रोने हँसने
 
बोलने न बोलने का मरने-जीने का
 
बोलने न बोलने का मरने-जीने का
 
फैसला करने  
 
फैसला करने  
 
घरों में कातिल घुसेगा
 
घरों में कातिल घुसेगा
और उसके नाम के मान सम्‍मान की झॉंकी होगी राजनीति.
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और उसके नाम के मान-सम्‍मान की झाँकी होगी राजनीति।
  
झूठ उसकी माला में गूंथेगा सचाई
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झूठ उसकी माला में गूँथेगा सच्चाई
भीड़ उसके कदमों में गिरेगी पागल
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वह कातिल पहले दिन से पहचाना जाएगा
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पर आखिरी दिन तक मारा नहीं जाएगा
 
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वह रूप बदल सब में समा जाएगा
 
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वह भीतर पहले से होगा मौजूद
 
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बाहर जब दरवाजे पर आएगा.
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बाहर जब दरवाज़े पर आएगा।
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21:27, 5 मई 2010 के समय का अवतरण

हर एक के साहस का समय है
अकेला एक कायर सबको मार सकता है
पुरखे जो देकर गये जीवन
वह छीना जाएगा
जल्‍दी ही पुरखों के नाम पर पुरखों की हत्‍या होगी
घरों में कातिल घुसेगा ज़िंदगी ठीक-ठाक करने
सोने और जागने खाने-पीने और रोने हँसने
बोलने न बोलने का मरने-जीने का
फैसला करने
घरों में कातिल घुसेगा
और उसके नाम के मान-सम्‍मान की झाँकी होगी राजनीति।

झूठ उसकी माला में गूँथेगा सच्चाई
भीड़ उसके क़दमों में गिरेगी पाग़ल
वह क़ातिल पहले दिन से पहचाना जाएगा
पर आखिरी दिन तक मारा नहीं जाएगा
वह रूप बदल सब में समा जाएगा
वह भीतर पहले से होगा मौजूद
बाहर जब दरवाज़े पर आएगा।