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"बरखा का एक दिन / अनातोली परपरा" के अवतरणों में अंतर

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हवा बही जब बड़े ज़ोर से
 
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बरसी वर्षा झम-झमा-झम
 
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मन में उठी कुछ ऐसी झंझा
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दिल थाम कर रह गए हम
 
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गरजे मेघा झूम-झूम कर
 
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जैसे बजा रहे हों साज
 
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ता-ता थैया नाचे धरती
 
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ख़ुशियाँ मना रही वह आज
 
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भीग रही बरखा के जल में
 
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तेरी कोमल चंदन-काया
 
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मन मेरा हुलस रहा, सजनी
 
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घेरे है रति की माया
 
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21:40, 7 मई 2010 का अवतरण

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»  बरखा का एक दिन


हवा बही जब बड़े ज़ोर से बरसी वर्षा झम-झमा-झम मन में उठी कुछ ऐसी झंझा दिल थाम कर रह गए हम

गरजे मेघा झूम-झूम कर जैसे बजा रहे हों साज ता-ता थैया नाचे धरती ख़ुशियाँ मना रही वह आज

भीग रही बरखा के जल में तेरी कोमल चंदन-काया मन मेरा हुलस रहा, सजनी घेरे है रति की माया </poem>