भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"शून्य-1 / प्रदीप जिलवाने" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रदीप जिलवाने |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> शून्य के साथ …) |
(कोई अंतर नहीं)
|
02:58, 13 मई 2010 के समय का अवतरण
शून्य के साथ एक संकट हमेशा होता है
उसे कहीं भी उठाकर किसी खाली जगह में
रखना कठिन होता है
इसलिए कि वहाँ जगह खाली होने के बावजूद
शून्य रखा होता है
शून्य में
शून्य के ऊपर
शून्य रखने की जगह नहीं होती है
खाली जगह खाली होने के बावजूद
शून्य से भरी होती है
खाली जगह में
शून्य का भराव होता है.