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"देशगीत : अनुरागमयी वरदानमयी / महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर
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सूरज की झारी औ किरणों | सूरज की झारी औ किरणों |
21:30, 3 मार्च 2007 का अवतरण
लेखिका: महादेवी वर्मा
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देशगीत
अनुरागमयी वरदानमयी
भारत जननी भारत माता!
मस्तक पर शोभित शतदल सा
यह हिमगिरि है, शोभा पाता,
नीलम-मोती की माला सा
गंगा-यमुना जल लहराता,
वात्सल्यमयी तू स्नेहमयी
भारत जननी भारत माता।
धानी दुकूल यह फूलों की-
बूटी से सज्जित फहराता,
पोंछने स्वेद की बूँदे ही
यह मलय पवन फिर-फिर आता।
सौंदर्यमयी श्रृंगारमयी
भारत जननी भारत माता।
सूरज की झारी औ किरणों
की गूँथी लेकर मालायें,
तेरे पग पूजन को आतीं
सागर लहरों की बालाएँ।
तू तपोमयी तू सिद्धमयी
भारत जननी भारत माता!