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"व्यक्तित्त्व / बरीस पास्तेरनाक" के अवतरणों में अंतर

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22:39, 14 मई 2010 के समय का अवतरण

क़लम में एक जानवर की तरह, मैं कट गया हूँ
अपने दोस्तों से, आज़ादी से, सूर्य से
लेकिन शिकारी हैं कि उनकी पकड़ मज़बूत होती चली जा रही है।
मेरे पास कोई जगह नहीं है दौड़ने की
घना जंगल और ताल का किनारा
एक कटे हुए पेड़ का तना
न आगे कोई रास्ता है और न पीछे ही
सब कुछ मुझ तक ही सिमट कर रह गया है।
क्या मैं कोई गुंडा हूँ या हत्यारा

या कौन सा अपराध किया है मैंने
मैं निष्कासित हूँ? मैंने पूरी दुनिया को रुलाया है
अपनी धरती के सौन्दर्य पर
इसके बावजूद, एक क़दम मेरी क़ब्र से
मेरा मानना है कि क्रूरता, अँधियारे की ताक़त
रौशनी की ताक़त के आगे
टिक नहीं पाएगी।

कातिल घेरा कसते जा रहे हैं
एक ग़लत शिकार पर निगाहें जमाये
मेरी दाईं तरफ़ कोई नहीं है
न कोई विश्वसनीय और न ही सच्चा

और अपने गले में इस तरह के फंदे के साथ
मैं चाहूँगा मात्र एक पल के लिए
मेरे आँसू पोंछ दिए जाएँ
मेरी दाईं तरफ़ खड़े किसी शख़्स के द्वारा