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"नववर्ष की पहरेदारी / सू शि" के अवतरणों में अंतर

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23:04, 14 मई 2010 के समय का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: सू शि  » नववर्ष की पहरेदारी

जल्द ही
गुज़र जाएगा साल
साँप की तरह घिसटता बिल की ओर
 
बस अब उसकी
आधी ही देह
बची रह गई है बाहर
कौन मिटा सकता है
इस आखिरी झलक को
और अगर हम बाँध भी दें उसकी पूँछ
तो भी कुछ नहीं होगा, नहीं हो पाएँगे सफल।

बच्चे जागे रहने का करते हर उपाय
हँसते-खिलखिलाते हैं हम इस रात
आँखों में समेटे
चूज़े नहीं कुकुटाते भोर की बांग
ढोलों को भी करना होगा इस घड़ी का सम्मान

जागते रहें हम
दीये का गुल गिरने तक
उठ कर देखता हूँ उत्तरी सप्तर्षि मंडल को बुझते हुए
अगला साल शायद आख़िरी हो मेरा
 
डरता हूँ मैं
समय को
बरबाद नहीं कर सकता।

इस रात को जियो भरपूर
जवानी को
अब भी
ख़ूब करता हूँ याद!


मूल चीनी भाषा से अनुवाद : त्रिनेत्र जोशी