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"संस्कृत / रघुवीर सहाय" के अवतरणों में अंतर
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20:46, 16 मई 2010 के समय का अवतरण
सेनाएँ मार कर मनुष्य को
खोद कर ज़मीन को
डेरा डाल देती हैं
किसी तरह आम का पेड़ बच रहता है
दोनों सेनाएँ कहीं और जाकर लड़ने के लिए
समझौता करती हैं
तब ज़मीन खाली कर जाने का समारोह
उसी पेड़ के तले होता है
उसी आम के नीचे बाँध कर मारा था
उन्होंने अठारह बरस के उन लड़कों को
हिन्दी बोलने वाले गाँव के उन लड़कों को
जो सेना को नहीं माने थे
उसी आम के नीचे आम के वृक्ष का
शास्त्रीय गुणगान करने आए हैं
वयोवृद्ध संस्कृतज्ञ