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"आर-पार / नीलेश रघुवंशी" के अवतरणों में अंतर
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21:46, 19 मई 2010 के समय का अवतरण
मेरे मन में कुछ सपने हैं
नींद में वे और और उजागर हो जाते हैं
दिखते हैं मुझे सपनों में सपने।
जानते हैं हम स्वप्न में
प्रेम के अनन्त रहस्य
डूबते हैं उतराते हैं
करते हैं प्यार अपने ही समुद्रों के आर-पार
दुनिया तमाम सुन्दर चीज़ों से भरी पड़ी है।
एक किलकारी की तरह
खुलती है नींद
खुलेगा हमारा भेद एक दिन मंगल-गीत की तरह।