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"दिल की तड़प नीलाम हुई है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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11:24, 22 मई 2010 का अवतरण


दिल की तड़प नीलाम हुई है
अब ये कहानी आम हुई है

आइना ख़ुद ही टूट गया था
मुफ्त नज़र बदनाम हुई है

आपने घूँघट भी न उठाया
और ये रात तमाम हुई है

प्यार वहाँ तक जा पहुंचा है
अक्ल जहाँ नाकाम हुई है

अब तो, गुलाब! उन आँखों में ही
तुमको सुबह से शाम हुई है