भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मधुऋतु चंचल, सरिता ध्वनि कल / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत |संग्रह= मधुज्वाल / सुमित्रान…) |
छो ("मधुऋतु चंचल, सरिता ध्वनि कल / सुमित्रानंदन पंत" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:44, 22 मई 2010 के समय का अवतरण
मधुऋतु चंचल, सरिता ध्वनि कल,
श्यामल पुलिन ऊर्मि मुख चुंबित,
नवल वयस बालाएँ हँस हँस
बिखरातीं स्मिति पंखड़ियाँ सित!
स्वप्निल पलक सुरा, साक़ी, चख,
मदिराधर मद से रहे छलक!
मंदिर भय, मसजिद का संशय
जा रे भूल, विलोक प्रियाऽलक!