भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"प्रस्ताव / दिनकर कुमार" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनकर कुमार |संग्रह=कौन कहता है ढलती नहीं ग़म क…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
01:25, 24 मई 2010 के समय का अवतरण
पारित करो घृणा का प्रस्ताव
सामूहिक रूप से बजाओ ताली
जो सपनों की याद में क़ब्रगाह बनते हैं
वहाँ कोई नहीं जाता अर्पित करने
भावभीनी श्रद्घांजलि या फूलों का गुच्छा
न ही जिक्र होता है सपनों का
आओ हम एक मिनट का मौन रखें
और भीतर एक प्रार्थना दुहराएँ
कि मुक्त हो हृदय धीरे-धीरे
विकृतियों से कुँठाओं से
निराशा के खरोचों से प्रतिहिंसा की आग से
मुक्त हो हृदय काले अतीत से
और अब कृतज्ञता व्यक्त करनी है
एक-एक अपरिचित चेहरे को याद करना है
धन्यवाद कि आपने विरोध किया
धन्यवाद कि आपने अफ़वाहें फैलाई
धन्यवाद कि आपने रोड़े अटकाए
धन्यवाद कि आपने मुझसे घृणा की