भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नई-नई पोशाकें / निर्मला गर्ग" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निर्मला गर्ग |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> अन्न और रोज़ग…)
(कोई अंतर नहीं)

22:26, 27 मई 2010 का अवतरण

   
अन्न और रोज़गार का ज़िक्र उसे नहीं भाता
समता और न्याय गए दिनों की बातें हो गईं
व्यस्त है नई-नई पोशाकें छांटने में
मेरी कविता इन दिनों


रचनाकाल : 1998