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"नई-नई पोशाकें / निर्मला गर्ग" के अवतरणों में अंतर
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22:26, 27 मई 2010 का अवतरण
अन्न और रोज़गार का ज़िक्र उसे नहीं भाता
समता और न्याय गए दिनों की बातें हो गईं
व्यस्त है नई-नई पोशाकें छांटने में
मेरी कविता इन दिनों
रचनाकाल : 1998