भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"एक कविता उदासी की / कुमार सौरभ" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Aditi kailash (चर्चा | योगदान) (Aditi kailash (वार्ता) के अवतरण 81886 को पूर्ववत किया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 27: | पंक्ति 27: | ||
सपने भी तब आते हैं | सपने भी तब आते हैं | ||
जब तकिये के नीचे नगद हो ! | जब तकिये के नीचे नगद हो ! | ||
− | |||
</poem> | </poem> |
10:27, 31 मई 2010 का अवतरण
बचपन में दादी
सुनाती थी एक कहानी
सफ़ेद घोड़ी पर चढ़कर
एक राजकुमार आता था
और अपनी प्रिय राजकुमारी को
ब्याह कर ले जाता था राजमहल
उस उदास लगने वाले
घर के सामने से
लेकिन भूल से भी
कोई राजकुमार नहीं गुजरता
ऐसा नहीं है कि
इस घर की राजकुमारियों में कोई कमी है
सिबाय इसके कि
इस घर से लक्ष्मी रहती है उदास
घर की राजकुमारियों की तरह
जिनके सपनों में भी नहीं होता
सफ़ेद घोड़ी वाला राजकुमार
सपने भी तब आते हैं
जब तकिये के नीचे नगद हो !