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03:33, 2 जून 2010 का अवतरण
एक चन्द्रबिम्ब ठहरा हुआ
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रचनाकार | गुलाब खंडेलवाल |
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प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | छंद-मुक्त |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
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- वैराग्य के सभी सूत्र मैंने घोट डाले / गुलाब खंडेलवाल
- जब समय था / गुलाब खंडेलवाल
- एक लहर तीर से लिपटकर बोली -- / गुलाब खंडेलवाल
- मुस्कान ही मुस्कान, / गुलाब खंडेलवाल
- फूल अपने रंग-रूप पर कितना भी गुमान करे / गुलाब खंडेलवाल
- यह सही है / गुलाब खंडेलवाल
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